नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न मामलों में दुरुपयोग रोकने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की गाइडलाइंस को मंजूरी दी है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए (पत्नी के साथ क्रूरता) के दुरुपयोग को रोकने के लिए फैमिली वेलफेयर कमेटी (एफडब्ल्यूसी) के गठन संबंधी जारी दिशा-निर्देशों को मंजूरी दे दी।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ए.जी.मसीह की पीठ ने आदेश दिया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 13 जून 2022 को क्रिमिनल रिवीजन नंबर 1126 ऑफ 2022 में दिए गए फैसले के पैरा 32 से 38 तक जो दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, वे प्रभाव में रहने और संबंधित अधिकारियों द्वारा लागू किए जाए। इन दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि धारा 498ए के मामलों में तुरंत गिरफ्तारी न हो, बल्कि पहले उन्हें फैमिली वेलफेयर कमेटियों के पास भेजा जाए, ताकि मामले की निष्पक्ष जांच और सुलह-सफाई का मौका मिल सके। 
सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2 साल पुराने दिशा-निर्देशों को अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब कोई महिला अपने ससुराल पक्ष के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराए, तब पुलिस दो महीने तक पति या उसके रिश्तेदारों को गिरफ्तार न करे। दरअसल, कोर्ट ने यह फैसला एक महिला आईपीएस से जुड़े मामले पर सुनवाई के दौरान सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि महिला आईपीएस अधिकारी को अलग हुए पति और उसके रिश्तेदारों से उत्पीड़न के लिए समाचार पत्रों में प्रकाशित करके माफी मांगनी होगी।