बिहार:  वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया जारी है और फॉर्म भरकर जमा करने की मियाद महज 2 दिन ही बची है. अभी तक 98 फीसदी फॉर्म जमा करा दिए गए हैं, जबकि 15 लाख फॉर्म भरकर जमा नहीं कराए गए हैं. माना जा रहा है कि अगले 2 दिनों में फॉर्म नहीं जमा कराने वालों की संख्या में इजाफा हो सकता है. ऐसे में भारी मात्रा में वोटर्स के नाम कटने की आशंका है. इस प्रक्रिया को लेकर बिहार से लेकर दिल्ली तक हंगामा मचा हुआ है. अब सत्तारुढ़ गठबंधन के लोग ही इस प्रक्रिया पर सवाल उठाने लगे हैं.

दिल्ली में संसद का मानसून सत्र चल रहा है. यहां पर भी विपक्षी सांसद इसके खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. पिछले 3 दिन संसद की कार्यवाही भी इसी हंगामे की वजह से भेंट चढ़ गई. बिहार की विधानसभा में भी हंगामा बरपा हुआ है, वहां भी सुचारू कार्यवाही नहीं हो पा रही है.

संसद में रोज हो रहा हंगामा

मामले को संसद में उठाने की लगातार मांग की जा रही है. कांग्रेस के सांसद मणिकम टैगोर ने आज गुरुवार को ट्वीट कर कहा, “हम एक बार फिर लोकसभा में SIR का मसला उठाएंगे. इंडिया गठबंधन लोकतंत्र पर इस हमले पर तत्काल चर्चा की मांग करता है.” उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में 52 लाख लोगों को उनके मताधिकार से वंचित कर दिया गया है. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी राज्यसभा में नियम 267 के तहत कार्य स्थगन नोटिस दिया है और बिहार में SIR के संवैधानिक और चुनावी निहितार्थ पर चर्चा की मांग की है.

विपक्ष के साथ-साथ सहयोगी दल के नेता भी इसका विरोध करने लगे हैं. बिहार के बांका से सांसद गिरिधारी यादव ने भी इस प्रक्रिया पर सवाल उठाया है. वह जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नेता है. जेडीयू केंद्र और राज्य दोनों में सत्तारूढ़ बीजेपी की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का एक अहम सहयोगी है. गिरिधारी यादव ने इस प्रक्रिया को “जल्दबाजी में किया गया और अव्यावहारिक” करार दिया.

हम पर जबरदस्ती थोपा गयाः गिरिधारी

गिरिधारी यादव ने कहा, “यह (एसआईआर) हम पर जबरदस्ती थोपा गया है. चुनाव आयोग को कोई व्यावहारिक ज्ञान नहीं है. उसे न तो बिहार का इतिहास पता है और न ही भूगोल के बारे में. मुझे खुद सारे दस्तावेज एकत्र करने में 10 दिन लग गए.”

अपने बेटे का जिक्र करते हुए गिरिधारी यादव ने कहा कि मेरा बेटा अमेरिका में रहता है. वह एक महीने में ही SIR पर हस्ताक्षर कैसे कर लेगा? वह आगे कहते हैं, “इसके लिए कम से कम 6 महीने का समय दिया जाना चाहिए था. यह मेरी निजी राय है. पार्टी क्या कह रही है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता… लेकिन सच्चाई यही है. अगर मैं सच नहीं बोल सकता, तो सांसद क्यों बना हूं?”

बिहार विधानसभा में भी हंगामा

यह मुद्दा संसद के अलावा बिहार विधानसभा के जारी मानसून सत्र में भी छाया हुआ है, यहां कल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के बीच एक बार फिर तीखी बहस हुई.

विपक्षी दलों की ओर से किए जा रहे भारी विरोध के बीच चुनाव आयोग की ओर से बुधवार शाम को पेश किए गए आंकड़े भी चिंता जाहिर करते हैं. चुनाव आयोग के अनुसार, करीब 15 लाख वोटर्स ने अभी तक भरे हुए गणना फॉर्म स्थानीय चुनाव अधिकारियों के पास जमा नहीं कराए हैं. जबकि एसआईआर प्रक्रिया के तहत 25 जुलाई तक फॉर्म जमा कराना है और इसमें 2 दिन ही बचे हैं.

71 लाख वोटों के कटने की संभावना

चुनाव आयोग के अनुसार, अब तक 98.01 फीसदी वोटर्स कवर्ड हो चुके हैं. इसमें से करीब 1 लाख वोटर्स ‘लापता’ बताए जा रहे हैं. साथ ही 20 लाख वोटर्स के निधन होने की बात बताई गई है. 28 लाख वोटर्स स्थायी रूप से विस्थापित हो गए हैं. जबकि 7 लाख वोटर्स एक से अधिक स्थानों पर वोटर लिस्ट में नामांकित पाए गए. इसके अलावा 15 लाख वोटर्स ने फॉर्म वापस नहीं किए गए हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो करीब 71 लाख वोटर्स ऐसे हैं जिनके नाम वोटर लिस्ट से कट सकते हैं. हालांकि अभी 2 दिन बचे हैं और 15 लाख ‘लापता’ वोटर्स के फॉर्म जमा हो सकते हैं.

चुनाव आयोग ने बताया, “बिहार में जारी एसआईआर के पहले चरण में, गलत तरीके से शामिल किए गए सभी वोटर्स और जिन लोगों ने अभी तक अपने फॉर्म वापस नहीं किए हैं, उनकी लिस्ट 20 जुलाई को बिहार के सभी 12 प्रमुख राजनीतिक दलों के जिलाध्यक्षों की ओर से नामित 1.5 लाख (150,000) बूथ लेवल एजेंटों (बीएलए) के साथ साझा कर दी गई है.”